पुलिस की दादागिरी के चलते कलोनी की जमीन, कूड़ाघर व अतिक्रमण में तब्दील 1 कैलाश नगर में लाखों रुपये की आमदनी है ज्योति नगर थाने को 2 चौधरी ग्रुप ओर सचदेवा ग्रुप के विवाद में प्लाट धारक परेशान शमशाद अली मसूदी नई दिल्ली। दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले की कैलाश नगर (कॉलोनी), इन दिनों ज्योति नगर थाने की पुलिस की मेहरवानी से अतिक्रमण की चपेट में है और प्लाट धारक व सोसायटी के लोग बेहद परेशान हैं। ज्योति नगर पुलिस प्लाट धारकों को प्लाट की चाहरदीवारी तक नहीं करने दे रही, जबको पैसे लेकर कॉलोनी में खाली पड़े प्लाटो पर अवैध रूप से झुग्गियां, टेंटो का सामान, फैक्ट्रीयां चलवा रही है और हर महीने पुलिस मोटी अवैध वसूली कर रही है। एसीपी और डीसीपी के आदेश के बाद भी थाना ज्योति के प्रभारी साहब किसी प्लाट धारक व सोसायटी वालो को कालोनी की चाहर दीवारी तक नही करने देते। मालूम रहे कि लोनी रोड शाहदरा में कैलाश नगर (कॉलोनी) सन 1961 में एम सी डी द्वारा पंजीकृत तथा कॉलोनी के ले आउट प्लान पास किया और 1969 में एम सी डी द्वारा क्षेत्र 71 को डी डी ए को ट्रांसफर कर दिया। में तमाम कालोनियों के नाम के साथ इस कालोनी का नाम भी शामिल निर्माण कर दिया गया था। ले आउट प्लान के सिलसिले आधार पर कालोनी में सीवर , रोड, वाटर लाइन आदि सुविधाओं को विकसित करने के लिए कलोनाईजर ओर कैप्टन और 1969 में एम सी डी द्वारा क्षेत्र 71 को डी डी ए को ट्रांसफर कर दिया। में तमाम कालोनियों के नाम के साथ इस कालोनी का नाम भी शामिल कर दिया गया था। ले आउट प्लान के आधार पर कालोनी में सीवर , रोड, वाटर लाइन आदि सुविधाओं को विकसित करने के लिए कलोनाईजर ओर कैप्टन लैन्ड बिल्डर्स के बीच 1966 में एग्रीमेंट हुआ। कलोनाईजर ने कालोनी के रख रखाव व मरम्मत व जनसुविधाओं के रख रखाव की जिम्मेदारी सोसायटी को दी। सन 1988 में डी डी ए ने बिल्डिंग एक्टिविटी रिलीज की। जिसके बाद प्लाट मालिक अपना मकान, भवन का नक्सा विभाग से पास कराकर अपना मकान बना सकता है। इसी नियम के अनुसार सभी प्लाट धारकों ने भवनों के नुक्से डी डी ए ने 2002 तक पास किए गये। इसके बाद डी डी ए ने क्षेत्र 71 को एम सी डी विभाग को हस्तान्तरण कर दिया। इसी बजह से ये क्षेत्र एम सी डी के अधिकार क्षेत्र में आता है। जानकारी के अनुसार कालोनी में 157 प्लाट अलग अलग साइज (वर्ग क्षेत्र फल के हैं। इन 157 में से 33 प्लाट अलग अलग साईज के अलग अलग व्यक्तियों के नाम रजिस्ट्री है जबकि 31 प्लाटो की रजिस्ट्री सवेव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम है बाकी 93 प्लाटो की रजिस्ट्री केपिटल लैंड बिल्डर्स के नाम हैं । इसी बजह से इस कलोनी की सोसायटी में 33 सदस्य प्लाट धारक व फल के हैं। इन 157 में से 33 प्लाट । अलग अलग साईज के अलग अलग व्यक्तियों के नाम रजिस्ट्री है जबकि 31 किसी प्लाटो की रजिस्ट्री सवेव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम है बाकी 93 प्लाटो की रजिस्ट्री केपिटल लैंड बिल्डर्स के नाम रोड हैं । इसी बजह से इस कलोनी की सोसायटी में 33 सदस्य प्लाट धारक व तथा एक एक सदस्य सवेव इंडिया और किया कैपिटल लैंड बिल्डर्स है। क्लोनाईजर 2004 तक कालोनी की सभी प्लाटो को । बेचकर जा चुका है सब कुछ सही होने के बाद भी कालोनी के भवनों के शामिल निर्माण में कहाँ दिक्कत आ रही है। इस सिलसिले में जब सोसायटी के उप , प्रधान एस एस भोरा से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि 157 प्लाटो में से 33 प्लाटो / मकानों पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन 124 प्लाटो को लेकर चौधरी रख ग्रुप ओर सचदेवा ग्रुप में डायरेक्टररो ओर 500 शेयरों के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में चले गये जहां मामला बिल्डिंग विचारधीन है। एस एस भोरा ने बताया ग्रुप ओर सचदेवा ग्रुप में डायरेक्टररो ओर 500 शेयरों के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में चले गये जहां मामला विचारधीन है। एस एस भोरा ने बताया 2006 में कैपिटल लैंड बिल्डर्स प्राइवेट पाया। 33 (10 दिसम्बर से 09 जनवरी लिमिटेड की मैनेजमेंट में कुछ बदलाव किया गया। जिसमें पूर्व डायरेक्टरों ( सचदेवा ग्रुप) को हटाकर नए डायरेक्टरो(चौधरी ग्रुप) को नियुक्त किया गया। सचदेवा ग्रुप की जगह चौधरी ग्रुप बनाया गया जिसमें नए डायरेक्टर नियुक्त किये गए। चौधरी ग्रुप ने अधिक्तर प्लाटो की रजिस्ट्री कैपिटल लैंड ओर 31 प्लाटो की भिन्न भिन्न व्यक्तियों के नाम कर दी। नये ग्रुप व कैपिटल लैंड व सवेल इंडिया की आपसी झगड़े की बजह से पूरी कलोनी के प्लाट धार परेशान हैं। आपसी झगड़े का फायदा ज्योति नगर पुलिस उठा रही है। 33 प्लाट बिना विवाद (यानी बिना कॉर्ड के। मुकदमे) के हैं। उन पर भी पुलिस चारदीवारी नही होने दे रही। जबकि बहुत से प्लाटो पर पुलिस ने पैसे लेकर अवैध कब्जा व अतिक्रमण करवा दिया। अवैध कब्जा व अतिक्रमण करने वाले लोगो व फैक्ट्री मालिको से लाखों रुपये की अवैध वसूली दिल्ली पुलिस करती है। सोसायटी के उप प्रधान ने बताया कि हमने इस मामले की शिकायत पुलिस के आला अधिकारी व एस डी एम को भी दी है। पुलिस के आला अधिकारी तो अपना पूरा सहयोग देने की बात करते हैं । लेकिन स्थानीय थाने की पुलिस हमे दी है। पुलिस के आला अधिकारी तो अपना पूरा सहयोग देने की बात करते हैं । लेकिन स्थानीय थाने की पुलिस हमे परेशान करती है और प्लाटो व कालोनी की चाहरदीवारी भी नहीं करने देती। जबकि पुलिस का मकान चाहर दीवारी रोकने का कोई अधिकार नही है। ये अधिकार एम सी डी के पास है। मामला कुछ हो प्लाट धारक परेशान है तो दिल्ली पुलिस के बल्ले बल्ले है। जनवरी )। 2019
पुलिस की दादागिरी के चलते कलोनी जमीन, कूड़ाघर व अतिक्रमण में तब्दील